याद है......
जब भी देखा करता था तुम्हे,
नम आंखों में
मैं बहकी बहकी सी बातें करता था |
मुस्कुराता हुआ...
यह सोच कर,
की मुझे खुश देख कर
शायद तुम भी खुश हो जाओ |
मगर..
तुम्हे हमेशा यह शिकायत रही,
की मुझे तुम्हारा कोई ग़म नहीं |
अब....
जब तुम नहीं हो,
आंखों में आंसू लिए,
यह सोचता हूँ |
शायद तुम आओ फिर से
जब तक की
मेरे आंसू सूख चुके होंगे |
और
जब तुम्हे देख कर मैं मुस्कुराऊंगा,
तुम्हे फिर यह शिकायत होगी की,
मुझे तुम्हारा कोई ग़म नहीं !
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Tuesday, February 19
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