Tuesday, February 19

याद ......

याद है......
जब भी देखा करता था तुम्हे,
नम आंखों में

मैं बहकी बहकी सी बातें करता था |
मुस्कुराता हुआ...
यह सोच कर,
की मुझे खुश देख कर
शायद तुम भी खुश हो जाओ |
मगर..
तुम्हे हमेशा यह शिकायत रही,
की मुझे तुम्हारा कोई ग़म नहीं |


अब....
जब तुम नहीं हो,
आंखों में आंसू लिए,
यह सोचता हूँ |
शायद तुम आओ फिर से
जब तक की
मेरे आंसू सूख चुके होंगे |
और
जब तुम्हे देख कर मैं मुस्कुराऊंगा,
तुम्हे फिर यह शिकायत होगी की,
मुझे तुम्हारा कोई ग़म नहीं !

1 comment:

Anonymous said...

नहीं....
हाँ नहीं है कोई गम मुझे ...
न तेरा न तेरे भगवान् का...
ना तेरी दुनिया का न काफिर जहां का..
फकत सजा मिली है मुझे...
उस हर बहकी बात ..उस हर मुस्कराहट की..
जो अब भूल चूका हूँ मैं.
गम नहीं है इसका भी मुझे...
बस एक तल्ख़ सी शिकायत है आज मुझे तुझ से..
क्यों तुने मेरी हर आह को फरियाद समझा ..
क्यों नहीं तुंबे मेरे प्यार को शाद आब समझा..
तू परछाई थी मेरे लिए तो ...
पर तुने भी मुझे बस एक याद समझा...